मद्रास के हाई कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से जवाब माँगा

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मद्रास Madras High Court उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन किरुबकरन ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से इस विषय पर उत्तर माँगा कि जो अमीर घरो के बच्चे अपने कम अंक कि वजह से इंडिया के किसी भी मेडिकल संस्थानों में दाखिला लेने में सक्षम नही हो पाते वो कम अंक के साथ विदेशी संस्थानों में मेडिकल पाठ्यक्रमों में शामिल होने में सक्षम कैसे हो जाते है। जबकी 12 वीं कक्षा में 95% अंक तथा उससे ज्यादा अंक लाने वाले बस इंडिया में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं।

यह समझ नही आता कि कैसे पैसेदार कम अंक प्राप्त करके विदेशी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेकर मेडिकल डिग्री प्राप्त कर लेते हैं और भारत की चिकित्सा परिषद (एमसीआई) उन विदेशी संस्थानों द्वारा दी गई डिग्री को अनुमति दे देती है। मरीजों के जीवन में भावी डॉक्टरों की जरूरत है और हमारे देश को अधिक डॉक्टरों की जरूरत है। इंडिया में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना जल्दी ही होनी चाहिए जिससे हमारे देश में डॉक्टरों की कमी पूरी हो और चिकित्सा शिक्षा का व्यावसायीकरण बंद हो सके।

थर्माई सेल्वम-जिन्होंने वेस्ट इंडीज के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (सेंट क्रिस्टोफर और नेविस) से एमबीबीएस प्राप्त की, उन्होंने 2011 में अपना पाठ्यक्रम पूरा किया और 2016 में विदेशी चिकित्सा योग्यता वाले भारतीय नागरिकों के लिए एमसीआई की स्क्रीनिंग टेस्ट को पास किया। उनकी अन्तिम पंजीकरण प्रमाण पत्र पर तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल द्वारा कोई विचार नहीं किया गया जिसके कारण उन्होंने जज के आगे याचिका दायर की थी। जज द्वारा उनकी याचिका पास की गयी और न्यायमूर्ति एन किरुबीकरण ने उन्हें आदेश के दो सप्ताह के भीतर फिर से आवेदन जमा करने को कहा और परिषद को भी दो सप्ताह के भीतर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।

हालांकि, मुख्य याचिका लंबित रखते हुए, न्यायाधीश ने भौतिक, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान में याचिकर्ता ने 77.8 प्रतिशत अंकों का उल्लेख किया। न्यायाधीश ने कहा कि इतने अंक भारत के मेडिकल कॉलेजों में सीट प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि मेडिकल कॉलेजों की कट-ऑफ 90 फीसदी से अधिक है। न्यायाधीश ने सवाल उठाते हुए कहा की कैसे कम अंकों वाले छात्रों को विदेशी मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश की अनुमति दी जाती है जिनकी डिग्री मान्यता प्राप्त है।ये सब देखने के बाद न्यायाधीश ने स्वयं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय के उत्तरदायित्व को मंजूरी दी और उनसे 14 प्रश्नों के उत्तर देने के लिए आदेश दिया।

Madras High Court’s 14 Questions
Madras High Court

  1. पिछले 10 वर्षों में विदेशी मेडिकल कॉलेजों से स्नातक हुए कितने छात्रों ने स्क्रीनिंग टेस्ट दिए हैं?
  2. सीआरआरआई (अनिवार्य रोटरी आवासीय इंटर्नशिप) देने के लिए कितने छात्र क्वालिफाइड है और पिछले 10 वर्षों में डॉक्टर के रूप में नामांकित होने के योग्य हैं?
  3. एमसीआई इस बात को जानती थी या नहीं की पैसे वाले कम अंक प्राप्त करने वाले छात्र विदेशी चिकित्सा
    संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं और मेडिकल डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।
  4. सार्वजनिक हित के खिलाफ जाकर ऐसे छात्रों को मेडिकल डिग्री प्राप्त करने की अनुमति दी जा सकती है?
  5. एमसीआई को विदेशी मेडिकल विश्वविद्यालय के लिए न्यूनतम अंक निर्धारित करने चाइये या नही। यदि नही तो क्यों नही, एमसीआई विदेशी मेडिकल विश्वविद्यालय के लिए न्यूनतम अंक निर्धारित क्यों नही कर  सकती और विदेशी चिकित्सा शिक्षा को विनियमित नहीं कर सकता है?
  6. ऐसे और कौन से देश है जहा पर इंडियन स्टूडेंट्स कम अंको के साथ विदेशी चिकित्सा संस्थानों से अपनी डिग्री कर रहे है?
  7. भारत के हर राज्य में डॉक्टरों की आबादी कितनीं है, हर राज्य की आबादी का विस्तार अलग-अलग दिखाओ।
  8. भारत में मेडिकल कॉलेज या संस्थान की संख्या कितनी हैं? राज्य के अनुसार बताओ।
  9. भारत में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए कितने अधिक मेडिकल कॉलेज या संस्थान की जरूरत है?
  10. केंद्रीय संघ सरकार भारत के राज्यों के हर जिले में कम से कम एक सरकारी मेडिकल कॉलेज या संस्थान खुलवाने के आदेश क्यों नही देती जिससे हमारे देश में डॉक्टरों की कमी पूरी हो सके और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज या संस्थान द्वारा हो रहे व्यावसायीकरण पर रोक लग सके।
  11. डॉक्टर बनाने के लिए मेडिकल छात्रों पे ज्यादा से ज्यादा कितना पैसा लगाया जा रहा है?
  12. भारतीय आबादी के अनुसार भारत में कितने डॉक्टरों की जरूरत है?
  13. केंद्र सरकार डॉक्टरों के लिए ये अनिवार्य क्यों नही कर देती, जनता के पैसे से शिक्षित होने के बाद डॉक्टर डिग्री प्राप्त करके कम से कम 5-10 साल आपने ही देश की सेवा करनी पड़ेगी, जिससे उनके मन से विदेशी देशों में स्थानांतरित करने का विचार दूर जा सके?

न्यायाधीश द्वारा आगे की कार्यवाही तथा उसकी सुनवाई की तारिक 10 अप्रैल तय की है।

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