बेगम जान मूवी रिव्यू

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Begum Jaan
बेगम जान मूवी रिव्यू Begum Jaan

कास्‍ट: विद्या बालन Begum Jaan, इला अरुण, गौहर खान, पल्लवी शारदा, चंकी पांडे, आशीष विद्यार्थी, रजित कपूर और नसीरुद्दीन शाह
डायरेक्‍टर: श्रीजीत मुखर्जी
समय: 2 घंटे 15 मिनट
मूवी टाइप : ड्रामा
लैंग्‍वेज: हिंदी
समीक्षक: मीणा अय्यर (टीओआई)

2015 में आयी डायरेक्टर श्रीजीत मुखर्जी की बांग्ला फिल्म राजकहिनी बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित रही। बेगम जान Begum Jaan बांग्ला फिल्म राजकहिनी का ही रीमेक है। यह फिल्म भारत-पाकिस्तान के विभाजन के उस पहलू को छूती है जो बॉलिवुड फिल्मकारों से अछूता रहा है। श्रीजीत की इस फिल्म की एक खास बात यह भी है कि फिल्म में एक दो नहीं, बल्कि दस फीमेल आर्टिस्ट हैं।
बेगम जान एक ऐसी महिला की कहानी है, जो पूर्व स्वतंत्रता पंजाब के एक शहर के बाहरी इलाके में एक वेश्यालय के महोदया है। लीड किरदार बेगम जान एक ऐसे कोठे की मालकिन हैं जो अंग्रेजों द्वारा दोनों देशों के बीच बनाई गई बंटवारे की लाइन के बीच आ रहा है। दोनों देशों के बंटवारे के काम का निपटारा करने के लिए बेगम जान के इस कोठे को तोड़ना बेहद जरूरी है।
फिल्म की कहानी और दौर वो है जब देश का विभाजन होना था 1947 , जो आजादी के 70 साल बाद भी लोगों में उत्सुकता पैदा करती है। विभाजन। फिल्म विभाजन के खौफ से अधिक बेगम जान के उत्साह का गुणगान करती है।
बेगम जान एक ऐसी महिला जो मासूम उम्र में विधवा हो जाती है। जिसे वेश्यालय में बेच दिया जाता है।
यह फिल्म उनके और राडक्लिफ लाइन को निष्पादित करने के लिए नियुक्त अधिकारियों के बीच की लड़ाई के बारे में है। यह एक आकर्षक अवधारणा है।
विद्या बालन बेगम जान को आप इस फिल्म में उनके किरदार में पूरी तरह से डूबा हुआ देख सकते हैं। बेगम के हर डायलॉग पर सिटी बजेगी ये बात तो तय है।
सेंसर की प्रिव्यू कमिटी ने फिल्म के कई डबल मीनिंग संवादों और कई लंबे लव मेकिंग सीन पर कैंची चला दी है, वहीं सब्जेक्ट की डिमांड के चलते सेंसर ने बहुत से बेहद हॉट सीन और हॉट संवादों को फिल्म से कट नहीं किया। यह फिल्म उस वक्त एकबार फिर सुर्खियों में आई जब पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने भारत-पाक विभाजन के बैकग्राउंड पर बनी इस फिल्म को पाकिस्तान में बैन करने का फैसला किया।

Begum Jaan

कहानी Begum Jaan:

बेगम जान एक ऐसे कोठे की मालकिन हैं, जो ऐसी जगह पर निर्मित है जिसे बंटवारे के बाद भारत-पाक के बीच बंटवारे की लाइन खींचने और इस बॉर्डर पर सीमा चौंकी बनाने के लिए प्रशासन को अपने कब्जे में लेना बेहद जरूरी है। करीब दस लड़कियों से ज्यादा के इस कोठे की मालकिन बेगम जान पर यहां के राजा जी (नसीरुद्दीन शाह) पूरी तरह से मेहरबान हैं। सो किसी में हिम्मत नहीं है जो बेगम जान के इस कोठे की ओर बुरी नजर डाल सके। यहां का कोतवाल (राजेश शर्मा) और इलाके का मुखिया भी अक्सर देर रात को मस्ती के लिए इसी कोठे पर आते हैं। बेगम को किसी की भी जरा सी भी परवाह नहीं, वहां रहने वालीं लड़कियों की दुनिया इस कोठे तक ही सीमित है। इस कोठे के सभी कायदे-कानून खुद बेगम जान ही बनाती है और इन कायदे-कानूनों पर कोठे को चलाती भी है। बेगम का एक चेहरा बेशक जालिम है जो यहां रहने वाली लड़कियों से मारपीट करके धंधा कराती है तो वहीं दूसरा चेहरा ऐसा भी है जो इन लड़कियों के दुख के वक्त में हमेशा उनके साथ है। इस कोठे की दुनिया उस वक्त बदलती है जब भारत-पाक को विभाजित करने के लिए सरकारी अफसर दोनों देशों के बीच बंटवारे की लाइन खींचने का काम शुरू करते हैं। बेगम को इस बंटवारे से कुछ लेना-देना नहीं, उसे तो बस अपने धंधे को और ज्यादा चमकाने और अपने इस कोठे को बचाने के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता। बेगम और यहां रहने वाली सभी लड़कियां किसी भी हालात में अपनी इस कोठी को खाली करने को राजी नहीं, बेगम की आाखिरी उम्मीदें राजाजी पर टिकी हैं जिन्होंने उससे दिल्ली जाकर उसके इस कोठे को बचाने का वादा किया। दूसरी ओर, इस कोठे के आस-पास बंटवारे की कांटे लगने का काम शुरू हो चुका है। दो सरकारी ऑफिसर इलियास (रजत कपूर), श्रीवास्तव जी (आशीष विद्यार्थी) यहां के पुलिस कोतवाल और सिपाहियों की टुकड़ी के साथ यह काम कर रहे हैं, लेकिन बेगम जान के कोठे को तोड़कर यहां तार लगाने काम शुरू नहीं हो पा रहा है। बेगम जान की मुश्किलें उस वक्त बढ़ जाती है जब दिल्ली से लौटकर राजाजी उसे कोठा खाली करने की सलाह देते हैं, लेकिन बेगम और यहां रहने वाली लड़कियां इस कोठे को खाली करने के लिए तैयार नहीं होती। सो दोनों सरकारी ऑफिसर कोठा खाली कराने की डील इलाके के एक शातिर बदमाश कबीर (चंकी पांडे) को सौंपते है, जिसे अब किसी भी कीमत पर बेगम जान के कोठे को खाली कराना है।

क्यों देखें :

अगर आप विद्या बालन के फैन हैं तो इस फिल्म को बिल्कुल मिस मत करियेगा। आजादी के जश्न में विभाजन का दर्द और बंटवारे के बैकग्राउंड पर बनी ‘बेगम जान’ लीक से हटकर बनी फिल्मों के शौकीनों के लिए है। फिल्म को मिले ‘ए’ सर्टिफिकेट को देख आप समझ सकते हैं कि ‘बेगम जान’ फैमिली क्लास के लिए नहीं।

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